नित्य व्योम में चलते- चलते जब भी, दिनकर थक जाता है। नित्य व्योम में चलते- चलते जब भी, दिनकर थक जाता है।
अपने वादों को पूरा करना है किसी को रुलाने की नहीं हँसाने की वजह बनना है अपने वादों को पूरा करना है किसी को रुलाने की नहीं हँसाने की वजह बनना है
मुट्ठी खोले तो हम हर ख्वाब सच कर दे। मुट्ठी खोले तो हम हर ख्वाब सच कर दे।
धरा जलती है सूरज से, पर वो तपन सहकर अडिग रहती। धरा जलती है सूरज से, पर वो तपन सहकर अडिग रहती।
सूरज डूबा हुआ अंधेरा हुआ अंधेेेेरा निकला चांद! सूरज डूबा हुआ अंधेरा हुआ अंधेेेेरा निकला चांद!
किसी की आंखों में चमक तो कहींं उमड़ता सैलाब है। किसी की आंखों में चमक तो कहींं उमड़ता सैलाब है।